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बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया में देरी गंभीर मुद्दा : न्यायालय

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नई दिल्ली, 13 अक्टूबर। बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया को मानवीय बताते हुए उच्चतम न्यायालय ने इसमें अत्यधिक देरी के मुद्दे को उठाया और कहा कि कई बच्चे बेहतर जीवन की उम्मीद में गोद लिये जाने का इंतजार कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगर 20-30 साल की उम्र के किसी जोड़े को बच्चा गोद लेने के लिए तीन या चार साल तक इंतजार करना पड़ता है, तो माता-पिता के रूप में उनकी स्थिति और गोद लिए जाने वाले बच्चे की स्थिति समय बीतने के साथ बदल सकती है। केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण गोद लेने की प्रक्रिया को अवरुद्ध क्यों कर रहे हैं। केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि मामले में उनका हलफनामा तैयार है और वह इसे शीर्ष अदालत में दायर करेंगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमने जो कवायद की है उसे अदालत के समक्ष रखने की अनुमति दी जाए।’’ पीठ ने भाटी से कहा कि अदालत को पिछले तीन साल में गोद लिये गये बच्चों की संख्या और गोद लिये जाने के लिए इंतजार कर रहे बच्चों की संख्या बताएं।


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