पूर्व सीएम ने कहा-भाजपा और संघ का स्वतंत्रता आंदोलन में कोई योगदान नहीं
लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि किसान आंदोलन भारत के इस लोकतांत्रिक मूल्य की पुनर्स्थापना का भी आंदोलन है कि सरकार के सभी फैसलों में आम जनता की भागीदारी होनी चाहिए। सरकार की मनमानी नहीं चलने पाएगी। भारत में लोकतंत्र को बचाने के लिए देश का हर नागरिक आज ‘किसान आंदोलन’ के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा का कोई योगदान नहीं था, इसलिए वे शहीदों की विरासत के प्रति न्याय नहीं कर सकते।
अखिलेश ने लखनऊ के गोसाईगंज में स्थापित झंडा स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद कहा, “स्वतंत्रता आंदोलन के जो मूल्य और आदर्श थे, वर्तमान भाजपा सरकार ने उनको भुला दिया है।” उन्होंने कहा, “भाजपा-आरएसएस की भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में कोई सहभागिता या भूमिका नहीं थी, इसलिए वे शहीदों की विरासत के प्रति न्याय नहीं कर सकते।”
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सन् 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में जब गांधी जी सहित कांग्रेस के बड़े नेता गिरफ्तार हो गए थे, तब समाजवादी नेताओं डॉक्टर राममनोहर लोहिया, लोकनायक जयप्रकाश नारायण तथा अरुणा आसफ अली ने ही आंदोलन की कमान सम्भाली थी। उन्होंने शहीदों की स्मृति को संजोए रखने पर बल देते हुए कहा कि आजादी की लड़ाई में जिन्होंने अपने प्राणों की आहूति दी वे हमारी प्रेरणा के स्रोत हैं। समाज अपने पूर्वजों के त्याग, समर्पण की भावना के प्रति नतमस्तक है। उनकी तपस्या से ही आज हम आजादी की हवा में सांस ले रहे हैं।
सपा नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन का समर्थन कर रही है। इस आंदोलन के समर्थन में अखिलेश और पार्टी कार्यकर्ता सोमवार को सड़कों पर भी उतरे थे और धरना प्रदर्शन भी किया था। इस मामले में अखिलेश और सपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ गौतम पल्ली पुलिस थाने में मामला भी दर्ज हुआ था