नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट मेंटल हेल्थकेयर एक्ट की धारा 115 की वैधता की जांच करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि आत्महत्या के लिए लोगो द्वारा जानवरों के बाड़े में कूद कर आत्महत्या करना निंदनीय है। जब आईपीसी के तहत आत्महत्या की कोशिश को अपराध माना गया है, तब क्या नया कानून बनाकर ऐसा करने वालों को मुकदमे से बचाया जा सकता है? यह सवाल सुप्रीम कोर्ट ने उठाया है।
मेंटल हेल्थकेयर एक्ट की धारा 115 में कहा गया है कि आत्महत्या की कोशिश करने वाले के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता, जबकि भारतीय दंड संहिता की धारा 309 के तहत आत्महत्या की कोशिश को दंडनीय अपराध माना गया है। दरअसल, ये मामला कोर्ट के सामने तब आया जब एक याचिका में हाथी के बाड़े में एक व्यक्ति के कूदने के बाद व्यक्ति के घायल होने पर हाथी जंजीर से बांध कर पीटा गया था। अदालत ने कहा कि कोर्ट कैसे किसी को जानवरों के बाड़े में जाने से रोक सकती है।
फ़