नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई समर्थित संदिग्धों के साथ कथित रूप से गोपनीय जानकारी साझा करने के आरोप में मुकदमे का सामना कर रहे वायु सेना के एक पूर्व अधिकारी को जमानत देने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि वह पूरे राष्ट्र के लिये ‘खतरा’ है।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमणियन की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ रंजीत के. के. की जमानत अपील खारिज कर दी। उच्च न्यायालय ने भी उसकी जमानत की अर्जी खारिज कर दी थी। पीठ ने कहा, ‘‘आप पूरे राष्ट्र के लिये खतरा हैं। अगर आप अपनी मां से मिलने की अनुमति मांगेंगे तो हम यह दे देंगे। ’’
पीठ ने इसके साथ ही अपने आदेश में कहा, ‘‘विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है। लंबित आवेदन, अगर कोई हों तो, निस्तारित माने जायें।’’ याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ से कहा कि रंजीत शासकीय गोपनीयता कानून के तहत इस मामले में करीब पांच साल से जेल में बंद है और अपनी मां को नहीं देखा है जो केरल में रहती हैं। पीठ ने इस पर टिप्पणी की, ‘‘आपको यह सब करने से पहले इस बारे में सोचना चाहिए था।’’
इससे पहले, रंजीत ने उच्च न्यायालय से यह कहते हुए जमानत देने का अनुरोध किया था कि गिरफ्तारी के समय उसकी आयु सिर्फ 24 साल थी और उसके खिलाफ शासकीय गोपनीयता कानून की धारा तीन के तहत ही आरोप हैं जिसमें अधिकतम सजा 14 साल की है। हालांकि उच्च न्यायालय ने उसे इस समय जमानत देने से इंकार कर दिया था। अदालत ने कहा कि मुकदमे की सुनवाई चल रही है।