ताज़ा खबर
OtherPoliticsTop 10ताज़ा खबरदुनियाभारतराज्य

आरएसएस ने अमेरिका में छवि सुधार पर किए करोड़ों खर्च, प्रभाव बढ़ाने के लिए लॉबिंग एजेंसी नियुक्त: रिपोर्ट

Share

✍🏻 डिजिटल न्यूज डेस्क, नई दिल्ली | अमेरिका की प्रभावशाली लॉबिंग फर्म स्क्वायर पैटन बॉग्स (Squire Patton Boggs) ने पहली बार भारत के दक्षिणपंथी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के लिए अमेरिकी संसद में आधिकारिक लॉबिंग दर्ज की है। अमेरिकी खोजी पोर्टल प्रिज़्म की जांच रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की शुरुआती तीन तिमाहियों में इस फर्म को 3,30,000 डॉलर (करीब 2.75 करोड़ रुपये) का भुगतान किया गया, जो आरएसएस की अब तक की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय लॉबिंग कवायद मानी जा रही है।

लॉबिंग दस्तावेजों में दावा किया गया है कि फर्म ने “अमेरिका-भारत द्विपक्षीय संबंध” को मजबूती देने के उद्देश्य से यह काम किया, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि आरएसएस एक विदेशी (भारतीय) संगठन है, इसलिए इस गतिविधि को फॉरेन एजेंट्स रजिस्ट्रेशन एक्ट (FARA) के तहत दर्ज होना चाहिए था। उल्लेखनीय है कि न स्क्वायर पैटन बॉग्स, और न ही आरएसएस ने फारा के तहत खुद को पंजीकृत किया है, जो अमेरिकी कानूनों के दायरे में बड़ा सवाल उठाता है।

जांच में यह भी सामने आया कि लॉबिस्ट ब्रैडफोर्ड एलिसन ने आरएसएस के इतिहास और उसके ‘मिशन’ को अमेरिकी सांसदों तक पहुंचाने के लिए कई प्रभावशाली नीति-निर्माताओं से संपर्क साधा। उन्होंने अमेरिकी प्रोफेसर ऑड्रे ट्रश्क को भी ईमेल भेजकर बताया कि वे सांसदों को “आरएसएस के प्रभाव” के बारे में शिक्षित करना चाहते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, लॉबिंग फर्म के वरिष्ठ प्रतिनिधि इस वर्ष नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय और प्रशिक्षण शिविर का दौरा कर चुके हैं। आरएसएस की पत्रिका ने इस दौरे को “भारत-अमेरिका सिविल सोसाइटी संवाद का निर्णायक क्षण” बताया।

लॉबिंग फाइलिंग में शामिल नाम भी ध्यान खींचते हैं। अमेरिका के पूर्व रिपब्लिकन सांसद बिल शस्टर, उनके भाई बॉब शस्टर, पूर्व कांग्रेस सहयोगी, और बोस्टन के फार्मा उद्योगपति विवेक शर्मा, जिन्होंने 5,000 डॉलर से अधिक का योगदान दिया।

विशेषज्ञों के अनुसार, आरएसएस का भाजपा से निकट संबंध इसे अमेरिकी कानून की नजर में एक “विदेशी राजनीतिक संगठन” की श्रेणी में ला सकता था। ठीक वैसे ही जैसे OFBJP-USA को 2020 में अमेरिकी चुनावों में भूमिका के चलते ‘विदेशी एजेंट’ का दर्जा लेना पड़ा था।

प्रिज़्म का दावा है कि आरएसएस की यह लॉबिंग अमेरिकी नीति-निर्माताओं के बीच अपने प्रति अंतरराष्ट्रीय धारणा बदलने का संगठित प्रयास है।

 


Share

Related posts

सरकार के फैसले के खिलाफ सड़क पर उतरेंगे कारोबारी

samacharprahari

यूपी में सरकारी नौकरी का सपना नहीं होगा पूरा, 5 साल कॉन्ट्रैक्ट पर रखने की तैयारी

samacharprahari

अमेरिका में भारतीय छात्रों के लिए मुश्किलें बढ़ीं, F-1 वीजा में 38% की गिरावट

samacharprahari

न्यायालय ने यूनिटेक के पूर्व प्रवर्तकों को मुंबई के जेल में भेजने का आदेश दिया

samacharprahari

फोन टैपिंग मामलाः तत्कालीन गृह मंत्री फडणवीस की भूमिका की हो जांच

samacharprahari

सुप्रीम कोर्ट नाराज, लगाया एक -एक लाख का जुर्माना

samacharprahari