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लोनावला बंगले की ‘वो’ घटना, जब राणे को बनना पड़ा बालासाहेब ठाकरे का ‘सिक्योरिटी गार्ड’

आइए जानते हैं किसके आदेश पर नारायण राणे को करना पड़ा ये काम

डिजिटल न्यूज डेस्क, मुंबई। शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे भले ही आज दुनिया में नहीं हैं,  लेकिन उनकी यादें महाराष्ट्र और देशवासियों के दिलों में ताजा हैं। शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे का 11वां स्मृति दिवस मनाया गया। इस मौके पर शिवतीर्थ पर शिवसैनिकों का हुजूम उमड़ पड़ा। सोशल मीडिया पर बालासाहेब ठाकरे की यादें ताजा की गई। पूर्व शिवसैनिक और मौजूदा बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने भी बालासाहेब ठाकरे से जुड़ी अपनी यादें ताजा की हैं। वे 1 फरवरी 1999 से 17 अक्टूबर 1999 तक राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे।

नारायण राणे ने बालासाहेब ठाकरे के स्मृति दिन पर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा है। इसमें उन्होंने पुरानी यादें ताजा की हैं। इस पोस्ट में उन्होंने मातोश्री पर हमले की धमकी का जिक्र किया है। उस समय वह कैसे  बालासाहेब ठाकरे के सुरक्षा रक्षक बने थे, इसका भी जिक्र किया है।

आइए जानते हैं वो पूरा किस्सा नारायण राणे की एक फेसबूक पोस्ट के जरिए। नारायण राणे ने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि क्या ऐसा प्यार और विश्वास फिर कभी मिलेगा? साथ ही यह भी लिखा है कि ऐसे साहेब दोबारा नहीं होंगे।

नारायण राणे ने लिखा, ‘आज बालासाहेब को इस दुनिया से गए 11 साल हो गए हैं। आज भी यह विश्वास नहीं हो रहा कि साहेब इस दुनिया में नहीं हैं। राणे ने सभी से यह साहेब से जुड़ी यह फेसबुक पोस्ट का पढ़ने का भी निवेदन किया है।

जब बालासाहेब ठाकरे को जान से मारने की धमकी मिली!

यह बात उन दिनों की है जब बालासाहेब ठाकरे को जान से मारने की धमकी मिली थी। यह खबर मिलते ही शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को चेतावनी देते हुए कहा कि पक्की खबर है कि मातोश्री पर हमले की साजिश हो रही है और उसके लिए आतंकवादी मुंबई भी पहुंच चुके हैं! लेकिन तब शरद पवार की चिंता की वजह कुछ और थी। उनके मुताबिक इस साजिश में घर के ही कुछ लोग शामिल थे! शरद पवार ने कहा कि अगले दिन हमला होगा। उन्होंने उद्धव ठाकरे से पुलिस सुरक्षा बढ़ाने के बारे में पूछा और उन्हें सावधान रहने की सलाह दी कि यह खबर ठाकरे परिवार के बाहर नहीं जानी चाहिए।

बालासाहेब ठाकरे ने नारायण राणे को किया फोन

इस खबर से परेशान उद्धव ठाकरे ने तुरंत बालासाहेब से इस बारे में काफी देर तक चर्चा की। बालासाहेब ने घर के हर सदस्य को सुरक्षित स्थान पर जाने और कुछ दिनों के लिए ‘मातोश्री’ से दूर रहने का आदेश दिया। उन्होंने सभी को सलाह दी कि किसी को भी एक-दूसरे के बारे में कोई जानकारी नहीं होनी चाहिए। फिर, अगले ही दिन, बालासाहेब अपनी पत्नी श्रीमती मीनाताई और अपने वफादार नौकर थापा के साथ अपनी मित्सुबिशी पजेरो कार में लोनावला के लिए रवाना हो गए।

बालासाहेब के लिए उस वक्त एक ही सुरक्षित जगह थी और वो थी लोनावला। लोनावाला जाने से पहले साहेब ने मुझे मातोश्री बुलाया। उन्होंने मुझसे पूछा, तुम क्या कर हो? कल कहीं जाने वाले हो क्या? कल सुबह आप अपनी सेना के साथ मातोश्री आ जाना। मैं तुम्हें बताऊंगा कि सुबह कहाँ जाना है। मेरी कार के पीछे आना है बिना की सवाल जवाब के। मैंने कहा, ठीक है सर। अगली सुबह मैं मातोश्री पहुंचा।

मेरे पहुंचते ही साहेब की कार कलानगर (ठाकरे परिवार का निवासस्थान) से निकल गई। जो सीधे लोनावला में एक बंगले पर रुकी। उस बंगले के आसपास बड़ी संख्या में पुलिस तैनात थी। साहब उस बंगले में रुके थे। उस बंगले के सामने वाले बंगले में हम शिवसैनिकों और पुलिस वालों ने रहने की व्यवस्था की गयी थी। रात को साहब ने मुझे फोन किया और पूछा कि व्यवस्था ठीक है? मैने हां कह दिया। चूंकि दिसंबर का अंत था, इसलिए बहुत ठंड थी।

जब रात 2 बजे बालासाहेब ने पूछा हालचाल

रात करीब दो बजे माँ साहेब (मीनाताई ठाकरे) गैलरी में आईं। उन्होंने देखा कि बंगले के सामने हम चारों एक कार में बैठे हैं और कार के बाहर आग जल रही है। तब उन्होंने ऊपर से पूछा, क्या राणे, तुम्हें नींद नहीं आ रही? मैंने कहा, ‘नहीं, माँ साहेब हम लोग जाग रहे हैं।’ इसके बाद उन्होंने पूछा कि चाय चाहिए। मैंने ‘नहीं’ कहा, तभी बालासाहेब भी बाहर गैलरी में आ गये। उन्होंने हमसे बातचीत की और यह भी पूछा कि खाना खाया या नहीं। उसके बाद मां साहेब और बालासाहेब अंदर चले गए।

हमलावरों ने हमारा पता लगा लिया हो या नहीं, लेकिन मैं इसे नसीब पर नहीं छोड़ने वाला था। इन सुरक्षा रक्षकों का क्या भरोसा, कब कौन पलट जाए, कुछ कहा जा नहीं सकता है? ख़तरा बड़ा था इसलिए हम सब शिवसैनिक साहेब की सुरक्षा के लिए पूरी रात जागते रहे।

साहेब के प्रति मेरे मन में प्रेम और निष्ठा थी, बस। आख़िरकार, वह मेरे गुरु थे और पितातुल्य भी।

साहेब को भावभीनी!

भावभीनी श्रद्धांजलि!

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