वरिष्ठ नेताओं पर नाराज विधायकों को मनाने का जिम्मा, महाविकास आघाडी ने बनाया प्लान
मुंबई। मध्य प्रदेश में सत्ता गंवाने के बाद कॉंग्रेस शासित राजस्थान में भी सियासी संकट खड़ा हो गया है। इसे देखते हुए महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी चौकन्नी हो गई है। गठबंधन में शामिल तीनों दलों के नेताओं को लगता है कि सत्ता हासिल करने के लिए भाजपा किसी भी हद तक जा सकती है। तीनों दलों के नेताओं ने पार्टी के कद्दावर नेताओं व असंतुष्ट विधायकों की नाराजगी दूर कर पार्टी गतिविधियों में सक्रिय करने की रणनीति बनाई है।
भाजपा गठबंधन सरकार में शामिल राजनीतिक दलों के कुछ असंतुष्ट विधायकों पर डोरे डाल सकती है। इसलिए आनन-फानन में महा विकास आघाड़ी सरकार में बड़ा फैसला लिया गया है। मंत्री पद नहीं मिल पाने से नाराज व असंतुष्ट सभी नेताओं व विधायकों पर फोकस किया जाएगा। कद्दावर नेताओं और विधायकों को पार्टी के कामों में सक्रिय किये जाने की योजना बनाई गई है। इसके साथ ही उनकी नाराजगी भी दूर की जाएगी। कई राज्य मंत्रियों की भी शिकायत थी कि उनके पास ज्यादा अधिकार नहीं है। कैबिनेट मंत्री भी उन्हें काम नहीं करने देते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, महा विकास आघाड़ी के वरिष्ठ नेताओं के बीच हुई चर्चा के बाद तीनों पार्टियों में तय हुआ है कि विभिन्न महामंडलों एवं निगम के लिए तीनों पार्टियां- शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी बराबर हिस्सेदारी के साथ अपनी- अपने पार्टी नेताओं के नाम देंगे। इसके साथ ही राज्य मंत्रियों को विभाग के मुद्दे के समय कैबिनेट की मीटिंग में भी शामिल होने दिया जाएगा और उन्हें ज्यादा अधिकार दिए जाएंगे।
महा विकास आघाड़ी की समन्वय समिति में शामिल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट ने कहा कि आए दिन राज्य मंत्रियों की इस तरीके से शिकायतें आती थीं जिस पर यह फैसला किया गया है कि कैबिनेट मीटिंग में किसी भी विभाग से संबंधित चर्चा होती है तो संबंधित विभाग के राज्यमंत्री को भी उसमें आमंत्रित किया जाएगा और बैठक में शामिल होने की इजाजत होगी।