पवार-ठाकरे के बीच सीएम हाउस में लंबी चर्चा
कांग्रेस ने कहा-शिवसेना की भूमिका हमेशा से ही भ्रमित करने वाली
मुंबई। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना नेता संजय राउत के बीच हुई मुलाकात को लेकर दोनों तरफ से सफाई आ चुकी है, लेकिन चर्चाओं का दौर थम नहीं रहा है। देवेंद्र फडणवीस और संजय राउत की मुलाकात से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की बेचैनी बढ़ गई है, जिसको लेकर एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने रविवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से वर्षा बंगले पर मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच लगभग पौने घंटे चर्चा होने की जानकारी मिली है। हालांकि बैठक में किस मुद्दे पर चर्चा हुई इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है।
बता दें कि शनिवार को सांताक्रूज स्थित होटल ग्रांड हयात में शिवसेना नेता संजय राउत और देवेंद्र फडणवीस के बीच लगभग 2 घंटे चर्चा हुई थी। इस मुलाकात के बाद राज्य का राजनीतिक पारा चढ़ गया है। हालांकि इस मुलाकात के बाद संजय राउत एवं देवेंद्र फडणवीस की सफाई आ चुकी है, फिर भी राजनीतिक गलियारा अफवाहों के बाजार से पट गया है।
भाजपा को सरकार बनाने की कोई जल्दी नहीं: फडणवीस
पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि भाजपा को सरकार बनाने की कोई जल्दी नहीं है। केवल सामना में इंटरव्यू को लेकर मुलाकात हुई थी, लेकिन दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार अलर्ट हुए हैं। वर्षा बंगले पर हुई मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात को इसी नजरिए से देखा जा रहा है।
शिवसेना में गुप्त बैठक करने की पद्धति नहीं: राउत
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि शिवसेना में गुप्त बैठक करने की पद्धति नहीं है। मुझे सामना के लिए देवेंद्र फडणवीस का बड़ा इंटरव्यू लेना है। इस संदर्भ में चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि राजनीति में कोई व्यक्तिगत शत्रु नहीं होता है। भाजपा के साथ होने के बावजूद हम शरद पवार से मिलते रहे हैं। उद्धव ठाकरे आज भी नरेंद्र मोदी को अपना नेता कहते हैं। कारण वे देश के प्रधानमंत्री हैं।
इस बीच, फडणवीस और राउत की मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज कर दी है। राज्य में तीन दलों की सरकार में शामिल कांग्रेस को भी इस मुलाकात ने चौकन्ना कर दिया है। देवेंद्र फडवीस का इस तरह संजय राउत से मिलना अब कांग्रेस को भी खटकने लगा है। कांग्रेस के कई नेताओं का कहना है कि केंद्र में जिस तरह कई मुद्दों पर शिवसेना अपना पक्ष रख रही है, उससे उसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। किसान बिल को लेकर एनसीपी व कॉंग्रेस ने विरोध जताया था, लेकिन शिवसेना ने इस बिल का समर्थन किया है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि शिवसेना की भूमिका हमेशा से ही भ्रमित करने वाली रही है।
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