साल 2019 में वीआरएस के तहत 79 हजार कर्मचारियों को घर बिठाया
नई दिल्ली। सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल (BSNL) ने अपनी सभी यूनिटों को खर्च घटाने के लिए कहा है। इससे कंपनी के लिए कॉन्ट्रैक्टर के जरिये काम कर रहे 20 हजार कामगारों पर छंटनी की तलवार लटक गई है। बीएसएनएल कर्मचारी संगठन के मुताबिक कंपनी ने 30 हजार कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को पहले ही निकाल दिया है। इन कर्मचारियों का एक साल से भी अधिक का वेतन बकाया है। साल 2019 में वीआरएस के तहत कम से कम 79 हजार कर्मचारियों को घर बिठाया जा चुका है।
लगातार खराब हो रही वित्तीय सेहत
कर्मचारी संगठन ने बीएसएनएल के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर पी. के. पुरवार को लिखी चिट्ठी में कहा है कि कंपनी की वित्तीय स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। वीआरएस स्कीम लागू होने के बाद से ही इस सरकारी कंपनी की हालत खराब हो रही है। अलग-अलग शहरों में मैनपावर की कमी से नेटवर्क में लगातार दिक्कत बनी रहती है।
कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं
यूनियन ने कहा है कि वीआरएस स्कीम के तहत बड़ी संख्या में कर्मचारियों के निकाले जाने के बाद भी मौजूदा कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है। पिछले 14 महीनों में 13 कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी वेतन न मिलने के कारण आत्महत्या कर चुके हैं।
जनरल मैनेजर को निर्देश
बीएसएनएल ने 1 सितंबर को सभी जनरल मैनेजरों को एक पत्र लिख कर कहा था कि वे कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों का खर्चा घटाने की कोशिश करें। ठेके के तहत काम करने वाले कामगारों को कम से कम काम पर लगाया जाए ताकि खर्चा घटे। सीएमडी ने कहा है कि सभी जनरल मैनेजर अपने-अपने जोन में खर्चा घटाने का रोड मैप तैयार कर भेजें।