✍🏻 डिजिटल न्यूज डेस्क, पटना | बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में गुरुवार को हुए मतदान ने इतिहास रच दिया। चुनाव आयोग के मुताबिक 6 नवंबर को हुए मतदान में 64.66 प्रतिशत वोटिंग हुई, जो अब तक के सभी विधानसभा और लोकसभा चुनावों से अधिक है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इसे “ऐतिहासिक और अभूतपूर्व” बताते हुए कहा कि बिहार के मतदाताओं ने लोकतंत्र के प्रति नई मिसाल पेश की है।
इस चरण में राज्य के 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर मतदान हुआ, जिसमें 3.75 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। आयोग के मुताबिक शाम 8:15 बजे तक मिले आंकड़ों में 1,570 प्रिसाइडिंग ऑफिसरों के डेटा शामिल नहीं थे, इसलिए अंतिम प्रतिशत और बढ़ने की संभावना है। चुनाव शांतिपूर्ण रहा और कहीं से किसी बड़ी गड़बड़ी या हिंसा की सूचना नहीं मिली।
यह मतदान केवल वर्तमान चुनाव का नहीं बल्कि बिहार के चुनावी इतिहास का सबसे ऊंचा मतदान प्रतिशत है। इससे पहले 2000 के विधानसभा चुनाव में 62.57% वोटिंग दर्ज की गई थी, जो अब तक का सर्वोच्च रिकॉर्ड था। वहीं लोकसभा चुनावों में 1998 में 64.60% वोटिंग हुई थी, जिसे 2025 के इस पहले चरण के मतदान ने भी पीछे छोड़ दिया।
1951-52 से 2020 तक हुए विधानसभा चुनावों में बिहार में केवल तीन बार ही 60% से अधिक मतदान हुआ था। वर्ष 1990 में 62.04%, 1995 में 61.79% और 2020 में 62.57%। यानी इस बार का मतदान न केवल प्रतिशत के लिहाज से सर्वोच्च है, बल्कि बिहार की जनता के लोकतांत्रिक उत्साह की नई परिभाषा है।
इस चरण में कुल 1,314 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में बंद हो गई है, जिनमें प्रमुख चेहरों में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव शामिल हैं।
चुनाव आयोग ने बताया कि इस बार विशेष रूप से महिला और युवा मतदाताओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। सभी बूथों पर 100% वेबकास्टिंग की गई, जिससे पारदर्शिता और निगरानी में सुधार हुआ।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बिहार में इस ऐतिहासिक मतदान का असर चुनावी नतीजों पर गहरा पड़ेगा। उच्च मतदान आमतौर पर सत्ता-विरोधी लहर का संकेत माना जाता है, परंतु इस बार मतदाता का रुझान किस ओर है, यह 3 दिसंबर को परिणाम आने पर साफ होगा। फिलहाल इतना तय है कि बिहार ने एक बार फिर लोकतंत्र में अपनी जागरूकता और भागीदारी से देश के लिए उदाहरण पेश किया है।
