ताज़ा खबर
OtherPoliticsTop 10ताज़ा खबरभारतराज्य

‘आर्थिक तबाही’ के लिए वित्त मंत्री इस्तीफा दें या प्रधानमंत्री उन्हें बर्खास्त करें: कांग्रेस

Share

नई दिल्ली। कांग्रेस ने जीडीपी विकास दर में भारी गिरावट और बढ़ती बेरोजगारी एवं मंहगाई को लेकर केंद्र सरकार पर देश को आर्थिक आपातकाल की तरफ धकेलने का आरोप लगाया और कहा कि इस ‘आर्थिक तबाही’ के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को खुद इस्तीफा दे देना चाहिए या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए। कांग्रेस ने यह भी कहा कि मौजूदा हालात में सरकार के भीतर ‘बड़ी राजनीतिक और वित्तीय सर्जरी’ की जरूरत है।

कांग्रेस नेताओं ने जीडीपी में गिरावट, बेरोजगारी और राज्यों को जीएसटी के बकाये से जुड़े आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, ‘‘ आज देश में चारों ओर आर्थिक तबाही का घनघोर अंधेरा है। रोजी, रोटी, रोजगार खत्म हो गए हैं तथा धंधे, व्यवसाय व उद्योग ठप्प पड़े हैं। अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई है तथा जीडीपी पाताल में है। देश को आर्थिक आपातकाल की ओर धकेला जा रहा है।’’

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के ‘दैवीय घटना’ (ऐक्ट ऑफ गॉड) वाले बयान का उल्लेख करते हुए कांग्रेस ने दावा किया, ‘‘6 साल से ‘एक्ट ऑफ फ्रॉड’ से अर्थव्यवस्था को डुबोने वाली मोदी सरकार अब इसका जिम्मा ‘एक्ट ऑफ गॉड’ यानि भगवान पर मढ़कर अपना पीछा छुड़वाना चाहती है। सच ही है, जो भगवान को भी धोखा दे रहे हैं, वो इंसान और अर्थव्यवस्था को कहां बख्शेंगे!’’

कांग्रेस के मुताबिक, 73 साल में पहली बार जीडीपी दर पहली तिमाही में घटकर माइनस 24 प्रतिशत होने का मतलब है कि देशवासियों की औसत आय धड़ाम से गिरेगी। अगर पूरे साल में अगर जीडीपी नकारात्मक 11 प्रतिशत तक भी गिरी, तो आम देशवासी की आय में बढ़ोत्तरी होने की जगह सालाना 14,900 रुपये कम हो जाएगी।

कांग्रेस ने आरोप लगाया, ‘‘लोगों का विश्वास इस सरकार से पूरी तरह उठ चुका है। लघु, छोटे और मध्यम उद्योगों से पूछिए, तो वो बताएंगे कि बैंक न तो कर्ज देते हैं और न ही वित्तमंत्री की बात में कोई वज़न। मोदी सरकार का 20 लाख करोड़ का ‘जुमला आर्थिक पैकेज’ भी डूबती अर्थव्यवस्था, आर्थिक तबाही व गिरती जीडीपी को रोकने में फेल साबित हुआ।’’

कांग्रेस नेताओं ने दावा किया, ‘‘73 साल में पहली बार केंद्र सरकार घोषित रूप से डिफॉल्टर हो गई है। वित्त सचिव ने 11 अगस्त, 2020 को संसद की वित्तीय मामलों की स्थायी समिति को साफ तौर से कहा कि भारत सरकार जीएसटी में प्रांतों का हिस्सा नहीं दे सकती व प्रांत कर्ज लेकर काम चलाएं। देश को इस हालात में पहुंचाने के लिए क्या प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को अपने पद पर रहना चाहिए? यह सवाल में देश के लोगों के विवेक पर छोड़ दिया गया है।’’

 


Share

Related posts

राणा कपूर के बैंक, डीमैट अकाउंट होंगे कुर्क

samacharprahari

ईडी ने 1146 करोड़ रुपये की हेराफेरी में एक कारोबारी को अरेस्ट किया

Vinay

महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण में देरी के कारण बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की गति धीमीः सरकार

samacharprahari

महंगाई से लेकर अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर कई चुनौतियां

samacharprahari

बिहार: महागठबंधन में सीटों पर बन गई बात? कांग्रेस को मिल सकती हैं 50 सीटें, ओवैसी की एंट्री पर नजर

samacharprahari

ओएनजीसी हेलीकॉप्टर हादसे में चार लोगों की मौत

Prem Chand