लखनऊ। पशुपालन विभाग में आटे की सप्लाई का ठेका दिलाने के नाम पर हुए 292 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े में आखिरकार पशुधन राज्यमंत्री जय प्रकाश निषाद के बयान विवेचक ने ले लिए हैं। मंत्री से पूछताछ न हो पाने पर विवेचक ने उन्हें नोटिस दिया था। इस नोटिस पर राज्यमंत्री ने अपने गौतमपल्ली स्थित सरकारी आवास पर विवेचक को बयान दिये। एसीपी गोमतीनगर और उनकी टीम ने करीब डेढ़ घंटे तक मंत्री से सवाल जवाब किये। मंत्री ने कहा कि उन्हें इस फर्जीवाड़े की कोई जानकारी नहीं थी। वह एक दो बार ही निजी सचिव के कमरे में गए हैं। पुलिस अधिकारी का कहना है कि मंत्री से मिले जवाबों का मिलान कराया जाएगा।
इंदौर के व्यापारी से हड़पे थे 10 करोड़
पशुधन फर्जीवाड़े में इंदौर के व्यापरी मंजीत सिंह भाटिया से ठेका दिलाने के नाम पर नौ करोड़ 72 लाख रुपये हड़प लिये गए थे। इस मामले में मुख्यमंत्री ने एसटीएफ को जांच सौंपी थी। जांच में आरोप सही मिलने पर पीड़ित की तहरीर पर हजरतगंज में 13 जून की रात एफआईआर दर्ज करा दी गई थी।
कई लोगों की गिरफ्तारी
इस मामले में राज्यमंत्री जय प्रकाश निषाद के निजी प्रधान सचिव रजनीश दीक्षित, निजी सचिव धीरज देव, पत्रकार आशीष राय, अनिल राय, कथित पत्रकार एके राजीव, उमाशंकर और रूपक को गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में इस मामले में दो और मददगार सचिन वर्मा और त्रिपुरेश पाण्डेय, होमगार्ड रघुबीर सिंह यादव को पकड़ा गया। इस प्रकरण की जांच के लिये पशुधन राज्यमंत्री से भी पूछताछ की जानी थी। लेकिन, पूर्व विवेचक एसीपी संतोष सिंह मंत्री के बयान नहीं ले सके थे।
डीआईजी के निलम्बन के बाद सख्ती हुई
25 अगस्त को फर्जीवाड़ी में पीड़ित को धमकाने के आरोपी सीबीसीआईडी के तत्कालीन एसपी (अब डीआईजी) अरविन्द सेन और इन्हीं आरोपियों से दूसरे मामले में साठगांठ कर ठेका दिलाने में भूमिका सामने आने पर डीआईजी दिनेश चन्द्र दुबे को निलम्बित कर दिया गया। इसके बाद ही विवेचक हरकत में आ गए। इसी कड़ी में पशुधन राज्यमंत्री जय प्रकाश निषाद से पूछताछ हुई।