मुंबई। भीमा-कोरेगांव मामले में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने 83 वर्षीय ट्राइबल राइट्स एक्टिविस्ट फादर स्टेन स्वामी को गिरफ्तार किया है। एनआईए ने फादर पर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह सीपीआई माओवादी के सक्रिय सदस्य हैं। हालांकि, एजेंसी को अभी रांची से गिरफ्तार इस प्रिस्ट के बारे में आधिकारिक बयान जारी करना है। अधिकारियों ने बताया कि एलगार परिषद केस में फादर स्टेन स्वामी माओवादी षड्यंत्र में शामिल थे।
बता दें कि भीमा कोरेगांव केस में पुणे पुलिस ने 15 नवंबर, 2018 और 21 फरवरी 2019 को एक चार्जशीट और एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर किया था। इस साल जनवरी में इस केस को एनआईए ने अपने हाथों में ले लिया। जांच अधिकारी ने कहा कि स्टेन स्वामी सीपीएम माओवादी के सक्रिय सदस्य हैं। सीपीएम के कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें किसी सहयोगी के माध्यम से धन भी प्राप्त किया था। स्वामी सताए गए कैदियों की एकजुटता समिति (पीपीएससी) के संयोजक हैं। जांच एजेंसी एनआईए ने पीपीएससी को सीपीआई (माओवादी) का फ्रंटल संगठन कहा है। एजेंसी ने इस साल अगस्त में मामले के संबंध में स्वामी से पूछताछ की थी।
एनआईए का कहना है कि एलगार परिषद केस में अन्य आरोपियों के साथ स्टेन स्वामी भी आरोपी हैं। अधिकारी ने कहा कि इसकी गतिविधियों के लिए वह कुछ षड्यंत्रकारियों के साथ सम्पर्क में थे, जिनके नाम सुधीर धवले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गडलिंग, अरुण फरेरा, वर्नोन गोंसाल्विस, हनी बाबू, शोमा सेन, महेश राउत, वरवारा राव, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबड़े आदि हैं।
इस बीच, पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ने स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी और लगाए गए आरोपों को खारिज किया है और स्वामी की जल्दी रिहाई की मांग भी की है। संगठन का कहना है कि फादर की गिरफ्तारी एनआईए द्वारा दुर्भावनापूर्ण और द्वेषपूर्ण है। चरमपंथी वामपंथी ताकतों या माओवादियों के साथ किसी भी लिंक से इनकार किया है। अक्टूबर 2018 में बोम्बे हाई कोर्ट ने स्वामी को सिर्फ संदिग्ध माना था आरोपी नहीं। महराष्ट्र पुलिस ने उसी साल भीमा कोरेगांव मामले की जांच के लिए उनके आश्रम के कम्यूटर को सीज कर दिया था।