श्रम विधेयक के ख़िलाफ़ देशव्यापी प्रदर्शन
25 सितंबर को किसान-मज़दूर एक साथ करेंगे हल्ला बोल
नई दिल्ली। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (सीटीयू), स्वतंत्र मजदूर संघों और महासंघों के आह्वान पर 25 सितंबर से मजदूर विरोधी और किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। श्रमिक कोड को कृषि बिलों के पारित होने के बाद पेश किया गया था।
बता दें कि देश भर में 23 सितंबर को मजदूर विरोधी और किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ एक लाख से अधिक जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए। इस प्रदर्शन का आह्वान केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने किया था। इसके अलावा देशभर के सभी किसान संगठनों ने भी संयुक्त रूप से 25 सिंतबर को प्रदर्शन का आह्वान किया है।
यह विरोध प्रदर्शन संसद में तीन श्रम विधेयकों को मंजूरी दिए जाने के ख़िलाफ़ हुए। इ श्रम विधेयकों में औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक 2020, सामाजिक सुरक्षा 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य शर्तों कोड, 2020 पर संहिता बिल शामिल है। इन विधेयकों को पिछले सप्ताह 19 सितंबर को लोकसभा में पेश किया गया था। मंगलवार को विधेयकों को पास कर दिया गया। राज्यसभा में बुधवार को विधेयक पेश किया गया, वहां भी सरकार ने इसे पास करा लिया। दोनों सदनों में मंजूरी मिल जाने के बाद अब राष्ट्रपति की अंतिम मुहर लगनी है। इन किसान व मजदूर विरोधी विधेयक के खिलाफ ही देश भर के मज़दूरों और किसानों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन शुरू किया है।
ट्रेड यूनियन के नेताओं ने इस सरकार की तुलना औपनिवेशिक काल के शासन से करते हुए कहा कि बीजेपी सरकार अंग्रेजों के नक्शेकदम पर चल रही है, असंवैधानिक साधनों का उपयोग करके फिर से श्रमिकों और किसानों को कॉरपोरेट के हितों के लिए गुलाम बनाया जा रहा है। अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए किसान व मजदूर इस सरकार के मनसूबे सफल नहीं होने देंगे।